पूरे विश्व में प्रकृति विमुख मानवीय गतिविधियों, विकास की असंतुलित अवधारणाओं एवं प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण पारिस्थिकीय असंतुलन का संकट संपूर्ण...
आज संपूर्ण मानव जाति अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। हमारी खूबसूरत दुनिया कठिनाइयों के बीच है। जब से हमलोगों ने जल, जंगल, जमीन, जन और जानवरों की तरफ...